Sidebar Content Sidebar Button
G E Road Ganjpara, Durg, Chhattisgarh
support@mokshitniramayam.com
+91 9874563210

Diseases

HindiEnglishPanchkarma TreatmentShatkarma TreatmentNaturopathy Treatment
शुष्क कासDry Coughगण्डूष, कवल, धूमनस्य मृदु विरेचन।जलनेति, कुंजल क्रिया, वाष्पस्वेद, योगनिद्रा, त्राटक।पेट का गरम ठण्डा सेक, लपेट, गरम पाद स्नान, वाष्प-स्नान, सूर्य स्नान, गीली चादर लपेट, अजवायन की भाप सूंघना।
फुफ्फुसजंय यक्ष्माPulmonary Tuberculosisअभ्यङ्ग, स्वेदन, पत्रपिण्ड, धमूनस्य, उर: वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेदन, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम ठण्डा सेक, लपेट, मिट्टी पट्टी, एनिमा, मिट्टी का सर्वाङ्ग लेप, घर्षण स्नान, गीली चादर लपेट, धूप स्नान, सर्वाङ्ग मालिश, दुग्ध या तक्र कल्प भी उत्तम उपचार हैं। वजन बढ़ाने के लिए स्नान करते समय शरीर के एक-एक अंग को बाल्टी में रखे पानी में एक तौलिए को डुबोकर भीगे तौलिए से पैर, पेट, पीठ, छाती व हाथ को खूब रगड़-रगड़ कर 20 से 25 मिनट तक स्नान करें।
हृदयरोग, ह्रदयाभिघात तथा ह्रदय-धमनी अवरोध(Cardiac Diseases) Cardiac stroke and blockage of coronary arteryअभ्यङ्ग, परिषेक, विरेचन, हृदय वस्ति, शिरोधारा।जलनेति, सूत्रनेति, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट पर मिट्टी की पट्टी, छाती की लपेट, गरम पाद स्नान, एनिमा, कटिस्नान, तीव्र हृदय धड़कन में ठण्डी पट्टी मात्र 2 मिनट।
अतिवसारक्तताDyslipidemia/High cholestrolपरिषेक स्वेद, रूक्ष बालुका स्वेदन, शिरोधारा, विरेचन, दशमूल व गोमूत्र वस्ति।जलनेति सूत्रनेति, शँखप्रक्षालन, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम-ठण्डा सेक, लपेट, मिट्टी पट्टी, एनिमा, कुंजल, कटि स्नान, रीढ़ व पेट की कम्पन तथा पेट की थपकी मालिश।
जीर्ण अतिसार / प्रवाहिकाChronic Diarrhoea/Dysentaryशिरोधारा/तक्रधारा, अनुलोमन, अनुवासन वस्ति, पिच्छा वस्ति, तक्र वस्ति।कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट का गर्म ठंडा सेक, नीम के ठंडे पानी का या छाछ का एनिमा, पेट पर मिट्टी की पट्टी, सौम्य या ठंडा कटिस्नान, पेट की सूती ऊनी लपेट, नाभि सेट करना, पेट पर ठंडी पट्टी।
आनाह, आध्मान एवं आटोपFlatulenceनाभि, पक्वाशय पर अभ्यङ्ग, तापस्वेद, विरेचन, एरण्डमूलक्वाथसिद्ध निरूह वस्ति, तिलतैल अनुवासन वस्ति।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम-ठण्डा सेक, लपेट, मिट्टी पट्टी, एनिमा, कुंजल, कटि स्नान, रीढ़ व पेट की कम्पन तथा पेट की धपकी मालिश। संचित विष निकालने के लिये धूप स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, घर्षण स्नान, थर्मोलियम उपचार लें। प्रतिदिन 2 से 3.5 लीटर पानी पीयें।
अम्लपित्तHyperacidityपरिषेक स्वेद, शिरोधारा, वमन, विरेचन, क्षीर वस्ति।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम ठंडा सेक लपेट, मिट्टी की पट्टी, ठंडा कटिस्नान, गरम पाद स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट।
मुखपाकStomatitisगण्डूष, कवल, मृदु विरेचन, मात्रा वस्ति।नेति क्रिया, शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम ठण्डा सेक, एनिमा, पेट पर मिट्टी पट्टी, गरम ठण्डा कटिस्नान, पेट की लपेट, सौम्य कटि स्नान। वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, सोना बाथ, सर्कुलर बाथ, गरम पाद स्नान, सूर्य स्नान रोगी एवं रोग के लक्षण के अनुसार दिया जा सकता है।
ग्रहणी रोगColitisअभ्यङ्ग, स्वेदन, विरेचन, शिरोधारा/तक्रधारा, पिच्छा वस्ति, तक्र वस्ति।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर प्राकृतिक उपचार।आयुर्वेद तथा योग उपचार का मात्र लक्ष्य जलन सूजन, दर्द एवं घाव को दूर करना तथा इन्फ्लामेशन (शोथ) को बढ़ाने वाली चीजों का परित्याग करना है। छाछ का एनिमा, सौम्य अथवा ठण्डा कटिस्नान, पेडू तथा कमर का गरम ठण्डा कम्प्रेस, लपेट, मिट्टी की पट्टी, पिंडलियों की मालिश और लपेट, गीली चादर लपेट, पूर्ण टब इमरसन स्नान, सौम्य धूप स्नान।
पर्पटी कल्पअभ्यङ्ग, स्वेदन, विरेचन, शिरोधारा/तक्रधारा, पिच्छा वस्ति, तक्र वस्ति।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर प्राकृतिक उपचार।प्राकृतिक आहार, आयुर्वेद तथा योग उपचार का मात्र लक्ष्य जलन सूजन, दर्द एवं घाव को दूर करना तथा इन्फ्लामेशन (शोथ) को बढ़ाने वाली चीजों का परित्याग करना है। छाछ का एनिमा, सौम्य अथवा ठण्डा कटिस्नान, पेडू तथा कमर का गरम ठण्डा कम्प्रेस, लपेट, मिट्टी की पट्टी, पिंडलियों की मालिश और लपेट, गीली चादर लपेट, पूर्ण टब इमरसन स्नान, सौम्य धूप स्नान।
जीर्ण विबन्धChronic Constipationपरिषेक स्वेदन, नाभि वस्ति, शिरोधारा, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।नेत्र प्रक्षालन रोगी की स्थिति के अनुसार, प्रतिदिन 2.5 से 3.5 लीटर जल पीना आवश्यक हैं। पेट पर मिट्टी को पट्टी गरम ठंडा सेक (3 मिनट गरम 2 मिनट ठंडा- 3 या 4 बार) गरम ठंडा कटिस्नान, पेट की सूती ऊनी लपेट, एनिमा, शँखप्रक्षालन, ठंडा कटिस्नान।
आंत्रजन्य यक्ष्माIntestinal Tuberculosisपरिषेक, नाभि वस्ति, शिरोपिचु, शिरोधारा, मात्रा वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेदन, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम ठण्डा सेक, एनिमा, पेट पर मिट्टी पट्टी, गरम ठण्डा कटिस्नान, पेट की लपेट, सौम्य कटि स्नान। वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, सोना बाथ, सर्कुलर बाथ, गरम पाद स्नान, सूर्य स्नान रोगी एवं रोग लक्षण के अनुसार दिया जा सकता है
कोरोनाCovid-19अभ्यङ्ग, स्वेदन, उरः वस्ति, स्नैहिक नस्य, धूमपान, वस्ति, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, वाप्ष्पस्वेदन, एक्यूप्रेशर, योगनिद्रा त्राटक।प्रतिदिन जल नेति, सरसों तैल या घृत नेति, एनिमा (नीम पानी का), कंपकंपी में गरम पाद स्नान, गरमी से बेचैनी होने पर गोली चादर लपेट, पसीना आने पर नीम के पानी से स्पंज बाथ दें। सिर तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी अथवा गीला तौलिया रखें। ठण्डा कटि स्नान, नीम के ठण्डे पानी का एनिमा।
डेंगूDengue Feverअभ्यङ्ग, स्वेदन, वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, वाष्पस्वेदन, एक्यूप्रेशर, योगनिद्रा त्राटक।एनिमा (नीम पानी का), कंपकंपी में गरम पाद स्नान, गरमी से बेचैनी होने पर गीली चादर लपेट, पसीना आने पर नीम के पानी से स्पंज बाथ दें। सिर तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी अथवा गीला तौलिया रखें। ठण्डा कटि स्नान, नीम के ठण्डे पानी का एनिमा।
चिकनगुनियाChikanguniyaअभ्यङ्ग, स्वेदन, क्षीर वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, वाष्पस्वेदन, एक्यूप्रेशर, योगनिद्रा, त्राटक।एनिमा (नीम पानी का), कंपकंपी में गरम पाद स्नान, गरमी से बेचैनी होने पर गीली चादर लपेट, पसीना आने पर नीम के पानी से स्पंज बाथ दें। सिर तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी अथवा गीला तौलिया रखें। ठण्डा कटि स्नान, नीम के ठण्डे पानी का एनिमा।
स्वाईन फ्लूSwine fluअभ्यङ्ग, स्वेदन, क्षीर वस्ति, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, वाष्पस्वेदन, एक्यूप्रेशर, योगनिद्रा, त्राटक।एनिमा (नीम पानी का), कंपकंपी में गरम पाद स्नान, गरमी से बेचैनी होने पर गीली चादर लपेट, पसीना आने पर नीम के पानी से स्पंज बाथ दें। सिर तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी अथवा गीला तौलिया रखें। ठण्डा कटि स्नान, नीम के ठण्डे पानी का एनिमा।
पाण्डु रोगAnaemiaस्नेहपान, तीक्ष्ण वमन, तीक्ष्ण विरेचन।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा त्राटक, एक्यूप्रेशर।धूप स्नान, मालिश, घर्षण स्नान, पेट पर गरम ठण्डा सेक, मिट्टी को पट्टी, एनिमा, गरम पाद स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, कटि स्नान, रीढ़ स्नान, छाती व पेट का गरम ठण्डा सेक व लपेट। ज्यादा समय तक गरम उपचार नहीं दें।
यकृतोदर / कामलाFatty liver / Jaundiceस्वेदन, तीक्ष्ण वमन, तीक्ष्ण विरेचन।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट (लिवर) का गरम ठंडा सेक, पेट की मिट्टी पट्टी, नीम के पानी का एनिमा, पेट की लपेट, गरम ठंडा कटि स्नान, गीली चादर लपेट, वाष्प स्नान, गरम पाद स्नान, नीम स्पंज घर्षण स्नान।
यकृत शोधHepatitis B/Cशिरोधारा, विरेचन, नस्य।शँखप्रक्षालन, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।गरम ठण्डा सेक पेडू तथा लिवर को देकर मिट्टी को पट्टी दें। पुनः नीम के पानी में एक नींबू निचोड़ कर एनिमा दें। पुनः रोगी के स्थिति के अनुसार गरम ठण्डा कटि स्नान, वाष्प स्नान, गरम ठण्डा कम्प्रेस विशेष रूप से लिवर का, सोना बाथ, पूर्ण टब इमरसन बाथ, सर्कुलर बाथ, गीली चादर लपेट, सर्वाङ्ग मिट्टी की लेप, मडपूल स्नान, .... स्नान, रेत स्नान आदि योग ग्राम में मौजूद 125 जल चिकित्सा की प्रविधियाँ के साथ सूर्य स्नान, कलर थर्मोलियम, ग्रीन हाउस थर्मोलियम, अभ्यान्तर एवं वाह्य वायु स्नान दें।
जलोदर सहित यकृत विषमयताCirrhosis of liver & Ascitesशिरोधारा, विरेचन।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।लिवर कैंसर तथा लिवर के अन्य रोगों में कॉफी एनिमा का प्रभाव अतुल्य होता है। बहुत सारी खोजों से ज्ञात हुआ है कि दिन में 2-3 बार कॉफी एनिमा तथा कॉफी पीना लिवर के उपरोक्त सभी रोगों, खास करके एनिमा से बहुत लाभ होता है। एनिमा के लिए 50 ग्राम कॉफी बीज को मिक्सी में पीसकर एक लीटर पानी में 3 मिनट अच्छी तरह उबालें पुन: उसे कम तापमान पर 15 मिनट तक धीरे -धीरे गरम करें। ताकि 600 ग्राम तक बच जाऐ। प्रात:-दोपहर एवं सायं में 15 दिन तक रोगी को घुटने एवं छाती के बल लिटाकर कॉफी एनिमा दें। इसके प्रभाव से ग्लूटेथिओन लीवर के जहरीले टोक्सिन्स तथा फ्री रेडिकल को बाहर निकालता है तथा इनसे बचाता है एवं बढ़े हुए रोग मार्कर एन्जाइम सामान्य स्तर पर आ जाते हैं
आमवातRheumatoid Arthritisलघंन, बालुका स्वेदन, दीपन-पाचन, मृदुविरेचन, स्नेह वस्ति, क्षार वस्ति, वैतरण वस्ति, जीर्णावस्था में विषगर्भतैल का अभ्यङ्ग करके रूक्षबालुका स्वेदन करें।जलनेति, सूत्रनेति, कुंजल क्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर। * यदि रोगी शँखप्रक्षालन, करने के योग्य हो।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गीली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान,थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पोटली मालिश। पूर्ण टब इमरसनबाथ, अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
एककुष्ठ / किटिभPsoriasisअभ्यङ्ग, परिषेकस्वेद, स्नेहपान, वमन, विरेचन, निरूह वस्ति, अनुवापन वस्ति, नस्य, रक्तमोक्षण, तक्रधारा।जलनेति, सूत्रनेति कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।मिट्टी की पट्टी, एनिमा, गरम ठण्डा सेक व लपेट, नीम पानी अथवा इप्सम साल्ट (75 ग्राम) से पूर्ण टब इमरसन बाथ, गीली चादर लपेट, सर्वाङ्ग मिट्टी स्नान, कटि स्नान, स्थानीय वाष्प, धूप स्नान, वायु स्नान। 65 मिनट से ज्यादा सूर्य स्नान नहीं लें। उपर्युक्त उपचार से त्वचा, जोड़ तथा मांसपेशियाँ, शान्त, शिथिल तथा ढीली होती है। कड़ापन एवं कसाव कम होता है। सामान्य चिकनी मिट्टी तथा मुल्तानी मिट्टी में एलोवेरा, हल्दी, गोमूत्र, कायाकल्प तैल और कनेर, अपामार्ग, मेहंदी, नीम, अमलतास के पत्ते पीसकर मिलाकर इस लेप को पूरे प्रभावित हिस्सों पर लगाकर 1 घंटा धूप में बैठें, फिर धोकर केक्टस के रस में पकाया कायाकल्प तैल लगाने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है।
शिवत्रVitiligoअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोपिचु, शिरोधारा, वमन विरेचन, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।मिट्टी की पट्टी, एनिमा, गरम ठण्डा सेक व लपेट, नीम पानी अथवा इप्सम साल्ट (75 ग्राम.) से पूर्ण टब इमरसन बाथ, गीली चादर लपेट, सर्वाङ्ग मिट्टी स्नान, कटि स्नान, स्थानीय वाष्प, धूप स्नान, वायु स्नान 65 मिनट से ज्यादा सूर्य स्नान नहीं लें। उपर्युक्त उपचार से त्वचा, जोड़ तथा मांसपेशियों, शान्त, शिथिल तथा ढीली होती है। कड़ापन एवं कसाव कम होता है। सामान्य चिकनी मिट्टी तथा मुल्तानी मिट्टी में एलोवेरा, हल्दी, गोमूत्र, कायाकल्प तैल और कनेर, अपामार्ग, मेहंदी, नीम, अमलतास के पत्ते पीसकर मिलाकर इस लेप को पूरे प्रभावित हिस्सों पर लगाकर 1 घंटा धूप में बैठें, फिर धोकर केक्टस के रस में पकाया कायाकल्प तैल लगाने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है।
युवान पीड़िका / मुहांसेAcneवमन, विरेचन, मुखलेप, रक्तमोक्षण, वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।चेहरे पर मिट्टी की पट्टी, एनिमा, गरम ठण्डा सेक व लपेट, नीम पानी अथवा इप्सम साल्ट (75 ग्राम.) से पूर्ण टब इमरसन बाथ, गीली चादर लपेट, सर्वांन मिट्टी स्नान, कटिस्नान, स्थानीय वाष्प, धूप स्नान, वायु स्नान 65 मिनट से ज्यादा सूर्य स्नान नहीं लें। उपर्युक्त उपचार से त्वचा, जोड़ तथा मांसपेशियाँ, शान्त, शिथिल तथा ढीली होती है। कड़ापन एवं कसाव कम होता है। सामान्य चिकनी मिट्टी तथा मुल्तानी मिट्टी में एलोवेरा, हल्दी, गोमूत्र, कायाकल्प तैल और कनेर, अपामार्ग, मेहंदी, नीम, अमलतास के पत्ते पीसकर मिलाकर इस लेप को पूरे प्रभावित हिस्सों पर लगाकर 1 घंटा धूप में बैठें, फिर धोकर केक्टस के रस में पकाया कायाकल्प तैल लगाने से बहुत जल्दी लाभ मिलता है।
शीतपित, उदर्द तथा कोठUrticariaनारियल तैल़कर्पुर अभ्यङ्ग सर्वाङ्ग वेदन, शिरोधारा, मृदु वमन, मृदु विरेचन, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कंजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।मिट्टी की पट्टी पेट तथा सिर का 3 मिनट गरम, 2 मिनट ठण्डा क्रम से तीन बार पेट का सेक देकर मालिश करें, तत्पश्चात नीम के पत्ते उबले सौम्य पानी का एनिमा तथा क्षीरवस्ति दें रोगी की जीवनीयशक्ति, सहिष्णुता, उम्र, वजन, रक्तचाप, तापमान, नाडी एवं श्वशन गति तथा रोग की स्थिति के अनुसार निसर्गोपचार के विविध प्रयोग नीम की गीली चादर लपेट, नारियल या नीम के तैल का हल्का मालिश स्नेहन के बाद नीम का वाष्प स्नान, नीम के पानी का गरम पूर्ण टब स्नान, सोना बाथ, नीम के पानी का कटि स्नान, रीढ़ स्नान, गरम पाद स्नान, नीम के पानी में भिगोयी मिट्टी से सर्वाङ्ग मिट्टी स्नान तथा सर्कुलर बाथ बदल-बदल कर दें।
दद्रुFungal infectionपरिषेक, तकधारा, विरेचन, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।एनिमा क्षीर बस्ती, मिट्टी की पट्टी, रोग एवं रोगों की स्थिति एवं जीवनो शक्ति के अनुसार नीम के पानी की गरम गीली चादर, नीम के पानी का गरम पूर्ण टब स्नान, नीम के पानी का गरम पाद स्नान, दीमक वाली मिट्टी को नीम के पत्ते उबले पानी में 12 घंटे पूर्व भिगोकर मक्खन की तरह गूंदकर सर्वान मिट्टी की लेप, गूलर या नीम के पानी से स्नान आदि करायें। नारियल तैल दिन में 2-3 बार लगायें। स्थानिक दद्रु होने पर वहाँ नीम के पानी में भिगोई मिट्टी में एक नींबू रस तथा एलोवेरा जेल मिलाकर लेप लगायें। आधे घंटे के बाद नीम के पानी से धोकर नारियल तैल से स्नेहन कर वहां स्थानीय वाष्प दें। ऐसा करने से वर्षो का दद्रु 4-5 दिन में चला जाता है।
अनुवांशिक रक्तविकारThalassemiaअभ्यङ्ग, परिषेक स्वेदन, वमन, विरेचन, नस्य।जलनेति, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।धूप स्नान, मालिश, घर्षण स्नान, पेट पर गरम ठण्डा सेक, मिट्टी की पट्टी, एनिमा, गरम पाद स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, कटि स्नान, रीढ़ स्नान, छाती व पेट का गरम ठण्डा सेक व लपेट। ज्यादा समय तक गरम उपचार नहीं दें।
रक्तपित्तBleeding disorderअभ्यङ्ग, परिषेक स्वेदन, वमन, विरेचन, नस्य।जलनेति, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।प्रातः दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कुंजर, जलनेति, रबरनेति तथा 3 बार प्रति दिन सरसों तेल का नस्य लें तथा नाभि पर तैल लगायें तथा घृत नेति करें। सरसों के तेल में एलाइल आइसोथायोसाइनेटस (AIT) होता है जो एण्टी वॉयरस तथा एण्टी बैक्टीरियल होता है। गुनगुने पानी का एनिमा लें, गरम पाद स्नान करें, फिर नीम के पानी का स्पंज बाथ लेकर विश्राम करें। चेहरे तथा गले पर अजवाईन या यूकेलिप्टस तैल की स्थानीय भाप लें।
रक्तगत वात (उच्चरक्तचाप )Hypertensionपरिषेक स्वेद, शिरोपिचु, शिरोधारा, तक्रधारा, विरेचन।जलनेति, सूत्रनेति, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।एनिमा, पेट का गरम ठंडा सेक व मिट्टी-पट्टी, गरम पाद स्नान, गरम ठण्डा पाद स्नान, कटि स्नान, गीली चादर लपेट, गर्दन व रीढ़ पर बर्फ की मालिश, रीढ़ स्नान, सिर रीढ़ पेट पर मिट्टी पट्टी/लेप, तैरना, समुद्र स्नान, ताजी हवा में घूमना, सिर पर तौलिया रखकर धूप स्नान लाभकारी है।
दुष्ट व्रण / पुराने घावWoundव्रणप्रक्षालन, व्रणधूपन, व्रणवस्ति।जलनेति, सूजनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट की मिट्टी पट्टी, पेट का गरम ठंडा सेक एवं लपेट, नोम पानी का एनिमा, कटिस्नान। स्थानीय उपचार हेतु नीम के पानी में भिगोई मिट्टी का लेप/पुल्टिस, नीम या गूलर के पत्ते उबालकर उसके पानी से स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, नीम के पत्तों के पेस्ट को गाय के घी में पकाकर पीसकर मलहम बनाये। नीम पानी से धोने के बाद यह मलहम लगायें।
सिराग्रंथिVaricose veinsउद्वर्तन, परिषेक स्वेदन, रक्तमोक्षण, विरेचन, शिरोधारा, उपनाह।जलनेति, सूत्रनेति कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।पेट की मिट्टी पट्टी, पेट का गरम ठंडा सेक एवं लपेट, नीम पानी का एनिमा, कटिस्नान। स्थानीय उपचार हेतु नीम के पानी में भिगोई मिट्टी का लेप/पुस्टिस, नोम या गूलर के पत्ते उबाल कर उसके पानी से स्नान, चाप्प स्नान, गीली चादर लपेट, नीम के पतों के पेस्ट को गाय के घी में पकाकर पीसकर मलहम बनाये। नीम पानी से धोने के बाद यह मलहम लगायें।
ग्रंथि या गांठCystअभ्यङ्ग, उपनाह, स्वेदन।जलनेति, सूत्रनेति, कुंजतक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।रोग एवं रोगी के स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांति पूर्वक प्रसन्नचित रहना।
अर्बुदCancerव्याधि अवस्थानुसार नाडीस्वेदन, शिरोधारा / तक्र धारा, मृदुवमन, मृदुविरेचन, नस्य, गण्डूष,कवल, क्षीर वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा, त्राटक,एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगों के स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांति पूर्वक प्रसन्नचित रहना।
अवटु ग्रंथि विकारThyroid gland disorderउद्ववर्त्तन, शिरोधारा, वमन, विरेचन, वस्ति, गण्डूष, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कंजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, वाष्पस्वेद, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, कटिस्नान, गले का गरम ठण्डा सेक, मिट्टी का लेप, वाष्प स्नान, गरम पाद व हाथ स्नान, सोना बाथ, गीली चादर लपेट।
मांसगत वातMuscular Dystropyप्रारम्भिक अवस्था में उद्ववर्त्तन , षाष्टिकशाली पिण्ड स्वेदन, उपनाह स्वेदन, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेद, योगनिद्रा, त्राटक , एक्यूप्रेशर।रीढ़ स्नान, गर्म ठंडा रीढ़ सेक, मालिश (सरसों तेल, लोंग, काली मिर्च में पका हुआ), गर्म पादस्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, धूप स्नान, रेत स्नान रोगी की स्थिति के अनुसार।
मांसगत विकारFibromyalgiaउद्वर्तन, सर्वाङ्ग वाष्पस्वेदन, मृदु विरेचन, शिरोधारा, रक्तमोक्षण, वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रीढ़ स्नान, गर्म ठंडा रीढ़ सेक, मालिश (सरसों तैल, लोंग, काली मिर्च साधित तैल द्वारा), गर्म पादस्नान , वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, धूप स्नान, रेत स्नान रोगी की स्थिति के अनुसार।
अतिस्थौल्यObesityउद्वर्त्तन, चूर्णपिण्ड स्वेदन, विरेचन, दशमूल-गोमूत्रसिद्ध निरुहवस्ति/लेखनवस्ति, शिरापिचु।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।शरीर में संचित कैलोरी को ऑक्सीकरण क्रिया बढ़ाना तथा बाहर से अतिरिक्त कैलारी नहीं देना ही इसका स्थायी उपचार हैं। पेट पर गरम ठंडे सेक, लपेट, मिट्टी पट्टा, एनिमा, वाष्प स्नान, मड स्नान, सोना बाथ, सर्कुलर बाथ, जाकूजी, व्हर्लपूल स्नान, गीली चादर लपेट, सूर्य स्नान लें। विभिन्न अंगों की स्थानीय चर्बी कम करने के लिये स्थानीय वाष्प, बाहों, जांघों, पेट की सूती ऊनी लपेट आदि उपचार बदल-बदल कर देने से लाभ मिलता है।
मधुमेहDiabetesस्थूलरोगी- उद्वर्त्तन, शिरोपिचु, वमन, विरेचन, मधुतैलिक वस्ति। कुशरोगी- अभ्यङ्ग, पत्रपिण्डस्वेदन, षाष्टिकशाली पिण्ड स्वेदन, मधुतैलिक वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा त्राटक।पेट पर मिट्टी की पट्टी, पेट का (लिवर व पेन्क्रियाज का) गरम ठंडा सेक, लपेट, एनिमा गरम ठंडा कटिस्नान, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, गीली चादर लपेट, गरम पाद स्नान तथा फुल टबबाथ आदि गरम उपचार से खून की नलियों के फैलने से मांसपेशियों में खून का संचार बढ जाता है। फलत: मांसपेशियों द्वारा ग्लूकोज का अवचूषण एवं सात्म्य की क्रिया बढ़ जाती है। रक्तशर्करा का उपयोग कोशिकाओं, ऊतकों एवं मांसपेशियों द्वारा होने पर उनकी शक्ति बढ़ती है, रक्तशर्करा कम होती है। इसके अलावा रोजाना 4-5 किलोमीटर टहलना, तैरना, खेलना, दौड़ना भी बहुत लाभदायक है।
आँत्रवृद्धिHerniaअभ्यङ्ग, सर्वाङ्ग वाष्पस्वेदन, विरेचन।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा त्राटक, एक्यूप्रेशर। ܀ रोगी Hiatus Hernia या Umblical Hernia से पीड़ित है तो शँखप्रक्षालन, उदरप्रदेश पर वस्त्र बाँधकर कर सकता है।पेट का गरम ठण्डा सेक, वैज्ञानिक मालिश (सावधानी से), गर्म ठण्डा कटि स्नान, वाष्प स्नान, पेट की लपेट, पेट की मिट्टी की पट्टी, स्थानीय वाष्प, इमरसन बाथ, मड बाथ (सर्वाङ्ग मिट्टी लेप), स्थानीय मिट्टी पट्टी।
सन्धिगत वातOsteoarthritisअभ्यङ्ग, सर्वाङ्ग वाष्पस्वेदन, नाडीस्वेदन, जानुवस्ति, एरण्डमूलादि निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति, उपनाहस्वेद, जानुधारा, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गीली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पहली मालिश पूर्ण टब इमरसनबाथ के अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
मन्यास्तम्भ / कटिशूल या गृध्रसीCervical spondylitis / Sciaticaग्रीवा वस्ति/कटिवस्ति, अभ्यङ्ग, सर्वाङ्ग वाष्पस्वेदन, नाड़ीस्वेदन, एरण्डमूलादि निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति, उपनाहस्वेद, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।सूर्य स्नान एक घंटा लें, कमर का गर्म ठण्डा सेक, स्थानीय वाष्प, गर्म कटि स्नान, एनिमा, रीढ़ स्नान, भाप स्नान, बर्फ मालिश।
वातरक्तGoutअभ्यङ्ग, परिषेकस्वेदन, मृदु स्निग्धविरेचन, क्षीरवस्ति, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गोली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पोटली मालिश। पूर्ण टब इमरसनबाथ अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
आस्थि सुषिरताOsteoporosisअभ्यङ्ग, पत्रपिण्ड स्वेदन, पष्टिकशाली पिण्ड स्वेदन, उपनाह स्वेद, शिरोधारा, जानु वस्ति, कटि वस्ति, तिक्तक्षीर वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गोली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, ग्रीन हॉउस तथा कलर थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पोटली मालिश। पूर्ण टब इमरसनबाथ के अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
कटिग्रहAnkylosing Spondylitisअभ्यङ्ग, पत्रपिण्ड स्वेदन, पृष्ठ वस्ति, मृदु विरेचन, एरण्डमूलादि निरुह वस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर| यदि रोगी शँखप्रक्षालन, करने के योग्य हो।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गीली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पोटली मालिश पूर्ण टब इमरसनबाथ के अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
अस्थिजन्य यक्ष्माBone Tuberculosis/Pott's Spineअभ्यङ्ग, स्वेदन, पत्रपिण्ड स्वेद, शिरोपिचु, शिरोधारा, मात्रा वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति वाष्पस्वेदन, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट का गरम ठण्डा सेक, लपेट, मिट्टी पट्टो, एनिमा, मिट्टी का सर्वाङ्ग लेप, घर्षण स्नान, गीली चादर लपेट, धूप स्नान, सर्वाङ्ग मालिश, शँखप्रक्षालन, दुग्ध या तक्र कल्प भी उत्तम उपचार हैं। वजन बढ़ाने के लिए स्नान करते समय शरीर के एक-एक अंग को बाल्टी में रखे पानी में एक तौलिए को दुबोकर भीगे तौलिए से पैर, पेट, छाती व हाथ को खूब रगड़-रगड़ कर 20 से 25 मिनट तक स्नान करें।
अस्थि मज्जागत वातAvascular Necrosis (AVN)अभ्यङ्ग, सर्वाङ्ग वाष्पस्वेदन, स्नेहधारा, उपनाह स्वेद, विरेचन, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर। यदि रोगी कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, करने के योग्य हो।गरम ठण्डा सेक, एनिमा, मालिश, लपेट, गीली चादर लपेट, वाष्प स्नान, सूर्य स्नान, थर्मोलियम, गरम रेत स्नान, पूर्ण टब इमरसन स्नान एप्सम साल्ट डालकर, स्थानीय वाष्प, गरम ठण्डा कटि स्नान, रीढ़ स्नान, पोटली मालिश। पूर्ण टब इमरसनबाथ के अण्डर वॉटर हाइड्रो मसाज अर्थात् पानी के अन्दर तैल से नहीं जलीय मालिश करें।
शुक्राणु अल्पताOligozoospermiaअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, विरेचन, वस्ति।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व जननेन्द्रिय पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, ठण्डा कटिस्नान, पेट, पेडू पर गरम ठण्डा सेक, लपेट, मेहन स्नान, ठण्डा लिंग स्नान, रीह स्नान, गीली चादर लपेट।
शुक्राणुहीनताAzoospermiaअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, विरेचन, वस्ति।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व जननेन्द्रिय पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, ठण्डा कटिस्नान, पेट, पेडू पर गरम ठण्डा सेक, लपेट, मेहन स्नान, ठण्डा लिंग स्नान, रीढ़ स्नान, गीली चादर लपेट।
वृक्काश्मरीRenal Calculiपरिषेक, मात्रावस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट एवं किडनी एरिया (वृक्क प्रदेश) पर गर्म ठण्डा सेक एवं लपेट, मिट्टी पट्टी, एनिमा, कटि स्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, गर्म पाद स्नान, मेहन स्नान, किडनी फ्लशिंग।
मूत्रकृच्छ्रताUTIपरिषेक, मात्रावस्ति, उत्तरवस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट एवं वृक्क के स्थान पर गर्म ठण्डा सेक एवं लपेट, पेडू पर बर्फ की ठण्डी पट्टी, ठण्डा कटि स्नान, मिट्टी पट्टी, एनिमा, कटि स्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, गर्म पाद स्नान, मेहन स्नान, किडनी फ्लशिंग।
पौरूषग्रंथि विकारBenign Prostate enlargement (BPHअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेडू तथा गुदाद्वार पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, गरम ठण्डा कटि स्नान, गरम कटि स्नान, टी पेक लपेट, गरम पाद स्नान, वाष्प स्नान, गीली चादर लपेट, सूर्य स्नान, गणेश क्रिया (अंगुली गुदा में डालकर आगे की तरफ सामने दबाते हुए मालिश)।
वृक्य निष्क्रियता / मूत्रक्षयChronic Kidney Diseaseपरिषेक, शिरोधारा, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।एनिमा, गर्म ठण्डा कटिस्नान, कमर व पीठ पर मिट्टी पट्टो, सिर्फ गरम सेक (अदरक की पानी से) व लपेट, गीली चादर लपेट, सूर्य स्नान, भाप स्नान।
नेफ्रोटिक सिंड्रोमNephrotic Syndromeअभ्यङ्ग/ उद्वर्त्तन, तक्रधारा, परिषेक, क्षीरवस्ति/ गोमूत्रवस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।एनिमा, गर्म ठण्डा कटिस्नान, कमर व पीठ पर मिट्टी पट्टी, सिर्फ गरम सेक (अदरक के पानी से) व लपेट, गीली चादर लपेट, सूर्य स्नान, भाप स्नान।
अर्शPilesअभ्यङ्ग, सँकर स्वेद, परिषेक, अवगाहन, मात्रावस्ति, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व गुदा पर मिट्टी की पट्टी, गरम ठंडा सेक, एनिमा, सौम्य गरम कटि स्नान, गरम पाद स्नान, पेट की लपेट, गरम ठंडा कटि स्नान दें। दर्द होने पर क्रमिक गरम ठंडा सेक दें।
भगन्दरFistula-in-anoअभ्यङ्ग, परिषेक, अवगाहन, मात्रावस्ति, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व गुदा पर मिट्टी की पट्टी, गरम ठंडा सेक, एनिमा, सौम्य गरम कटि स्नान,गरम पाद स्नान, पेट की लपेट, गरम ठंडा कटि स्नान दें। दर्द होने पर क्रमिक गरम ठंडा सेक दें।
स्त्री बन्ध्यत्वFemale Infertilityअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, मृदु वमन, मृदु विरेचन, उत्तरवस्ति, नस्य, योनिपिचु, यौनि धावन, योनिधूपन।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशरपेट व जननेन्द्रिय पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, ठण्डा कटिस्नान, पेट, पेडू पर गरम ठण्डा सेक, लपेट, मेहन स्नान, ठण्डा लिंग स्नान, रीढ़ स्नान, गीली चादर लपेट।
डिम्बाशयी बहुपुट्टीय रोग / कफज ग्रंथिPCODअभ्यङ्ग/उद्वर्त्तन, स्वेदन, शिरोधारा, वमन, विरेचन, उत्तरवस्ति।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, गर्म-ठण्डा कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांति पूर्वक प्रसन्नचित रहना।
अन्तर्गर्भाशयकला असामान्यताEndometriosisअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, मृदु वमन, मृदु विरेचन, उत्तरवस्ति, नस्य, योनिपिचु, योनि धावन, योनिधूपन।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पैट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, गर्म-ठण्डा कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांति पूर्वक प्रसन्नचित रहना।
गर्भाशयनलिका अवरोधTubal Blockageअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, मृदु वमन, मृदु विरेचन, उत्तरवस्ति, नस्य, योनिपिचु, योनि धावन, योनिघूपन।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व जननेन्द्रिय पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, ठण्डा कटिस्नान, पेट, पेडू पर गरम ठण्डा सेक, लपेट, मेहन स्नान, ठण्डा लिंग स्नान, रीढ़ स्नान, गीली चादर लपेट।
गर्भाशयगत ग्रंथिUterine fibroidअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, मृदु वमन, मृदु विरेचन, उत्तरवस्ति, नस्य, योनिपिचु, योनि धावन, योनिधूपन।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांतिपूर्वक प्रसन्नचित्त रहना।
मासिकधर्म की अल्पता या मासिकधर्म के समय होने वाले शूल की चिकित्साOligomenorrhea/Dysmenorrheaअभ्यङ्ग स्वेदन, शिरोपिचु, मात्रावस्ति, अनुवासन वस्ति, नस्य।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशररोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर) एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांति पूर्वक प्रसन्नचित्त रहना।
श्वेतप्रदरLeucorrhoeaअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, योनिपिचु, योनिधावन, वस्ति।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांतिपूर्वक प्रसन्नचित्त रहना।
रक्तप्रदरMenorrhagiaअभ्यङ्ग परिषेक स्वेदन, वमन, विरेचन, नस्य, वस्ति।जलनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोग एवं रोगी की स्थिति के अनुसार पेट पर गर्म ठंडा सेक, मिट्टी की पट्टी (पेट व प्रभावित अंगों पर), एनिमा, कॉफी एनिमा, कटिस्नान, गीली चादर लपेट, भाप स्नान, धूप स्नान, खुले वातावरण में शांतिपूर्वक प्रसन्नचित्त रहना।
गर्भाशयजन्य यक्ष्माUterine Tuberculosisअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोपिचु, शिरोधारा, योनिपिचु, योनिधूपन, वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेदन, त्राटक, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।पेट व जननेन्द्रिय पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, ठण्डा कटिस्नान, पेट, पेडू पर गरम ठण्डा सेक, लपेट, मेहन स्नान, ठण्डा लिंग स्नान, रीढ़ स्नान, गीली चादर लपेट।
पक्षाघातParalysisअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, शिरोपिचु, मृदु विरेचन, वस्ति, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट पर गरम ठंडा सेक, सिर, रीढ़, पेडू पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, इप्समसाल्ट, नमक, पीसी राई का गर्म पूर्ण टब स्नान एवं जल के अंदर जलीय मालिश, रीढ़ का गरम ठंडा सेक, रीढ़ स्नान इमरसन स्नान, गीली चादर लपेट, जाकुजी, ओजोन बुलबुला स्नान। विचार- हमेशा सकारात्मक सोच रखे कि हर पल हर क्षण तथा हर दिन स्वस्थ हो रहे हैं।
कम्पवातParkinson's Diseaseअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, शिरोपिचु, मृदु विरेचन, वस्ति, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर, शँखप्रक्षालन।पेट पर गरम ठंडा सेक, सिर, रीढ़, पेडू पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, रीढ़ का गरम ठंडा सेक, रीढ़ स्नान इमरसन स्नान, गीली चादर लपेट, जाकुजी, ओजोन बुलबुला स्नान। विचार - हमेशा सकारात्मक सोच रखे कि हर पल, हर क्षण तथा हर दिन स्वस्थ हो रहे हैं।
कफावृत्तव्यान वैषम्यMotor Neuron Diseaseअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, शिरोपिचु, मृदु विरेचन, वस्ति, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट पर गरम ठंडा सेक, सिर, रीढ़, पेडू पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, रीढ़ का गरम ठंडा सेक, रीढ़ स्नान इमरसन स्नान, गीली चादर लपेट, जाकुजी, ओजोन बुलबुला स्नान। विचार - हमेशा सकारात्मक सोच रखे कि हर पल, हर क्षण तथा हर दिन स्वस्थ हो रहे हैं।
ग्रीवा हुणडनDystoniaअभ्यङ्ग, पत्रपिण्ड स्वेदन, ग्रीवावस्ति, नस्य, शिरोपिचु, निरुह वस्ति, अनुवासनवस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर, शँखप्रक्षालन।पेट पर गरम ठंडा सेक, सिर, रीढ़, पेडू पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, रीढ़ का गरम ठंडा सेक, रीढ़ स्नान इमरसन स्नान, गीली चादर लपेट, जाकुजी, ओजोन बुलबुला स्नान। विचार - हमेशा सकारात्मक सोच रखें कि हर पल, हर क्षण तथा हर दिन स्वस्थ हो रहे हैं।
विविधोतकदाढ्र्यMultiple Sclerosisअभ्यङ्ग, मृदु स्वेदन, शिरोधारा, शिरोपिचु, मृदु विरेचन, वस्ति, नस्य, अक्षितर्पण।जलनेति सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।रोगी के स्थिति के अनुसार उपचार निर्धारित किया जाता है। मिट्टी की पट्टी पेट, सिर आँख का गरम पाद स्नान, गीली चादर लपेट, पूर्ण टब इमरसन बाथ, वाष्प स्नान, सोना, बाथ, स्टीम बाथ, गोलीचादर लपेट, अलग-अलग अंगों की लपेट व्हर्लपूल स्नान, सर्कुलर बाथ, रीढ़ स्नान, कटिस्नान आदि दें। सूर्य स्नान अत्यधिक लाभकारी होता है।
कणिकागुल्मताSarcoidosisअभयङ्ग-लवण तैल, प्रस्तर/नाडी/ संकर स्वेदन, वमन, धूमनस्य धूमपान, परिषेक, पष्टिकशाली पिण्डस्वेद, विरेचन इत्यादि।जलनेति, सूत्रनेति,कुँजलक्रिया, वाष्पस्वेद, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।छाती पर गरम ठण्डा सेक, अदरक, हल्दी, प्याज, लहसुन के लेप के साथ लपेट, एनिमा, स्थानीय वाष्प, अजवाइन व जीरा का वाष्प सूंघे। घर्षण स्नान, गीली चादर लपेट, गरम पाद स्नान। आराम होने पर सर्वाङ्ग स्टीम बाथ एवं सोना बाथ, इमरसन बाथ भी ले सकते हैं।
ओजक्षयAIDSअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, शिरोपिचु, गण्डूष, कवल (व्याधिअवस्थानुसार)।जलनेति, सूत्रनेति, योगनिद्रा, त्राटक।रोगी की स्थिति के अनुसार उपचार निर्धारित किया जाता है। पेट, सिर व आँख की मिट्टी की पट्टी, गरम पाद स्नान, गीली चादर लपेट, पूर्ण टब इमरसन बाथ, वाष्प स्नान, सोना बाथ, स्टीम बाथ, गीलीचादर लपेट, अलग-अलग अंगों की लपेट, व्हर्लपूल बाथ, सर्कुलर बाथ, रीढ़ स्नान व कटिस्नान आदि दें। रोग एवं रोगी के स्थिति के अनुसार उपचार दें।
त्वक्काठिन्यSclerodermaअभ्यङ्ग परिषेक स्वेदन, मृदुस्निग्ध विरेचन, क्षीरवस्ति, निरूह वस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।रोगी की स्थिति के अनुसार उपचार निर्धारित किया जाता है पेट, सिर व आँख की मिट्टी की पट्टी, गरम पाद स्नान, गीली चादर लपेट, पूर्ण टब इमरसन बाथ, वाष्प स्नान, सोना बाथ, स्टीम बाथ, गीलीचादर लपेट, अलग-अलग अंगों को लपेट, व्हर्लपूल बाथ, सर्कुलर बाथ, रीढ़ स्नान व कटिस्नान आदि दें।
अपस्मारEpilepsyअभ्यङ्ग, वाष्पस्वेद, शिरोधारा, वमन, तीक्ष्ण विरेचन, दशमूलसिद्ध निरूहवस्ति, अनुवासन वस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, त्राटक।पेट व सिर पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, कटि स्नान, रीढ़ स्नान, मेहन स्नान, गीली चादर लपेट, जलनेति रोजाना करें।
आधा शीशी का दर्द / जीर्ण शिर: शूलMigraineअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, नस्य, मात्रावस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्यस्वेदन, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट व सिर का गरम ठण्डा सेक, मालिश, एनिमा, गरम पाद स्नान, पिण्डलियों की मालिश व लपेट, कटि स्नान, रीढ़ स्नान, मेहन स्नान, पेट व सिर पर मिट्टी पट्टी। सिर की मालिश, गरम / ठण्डा सेक या स्थानीय वाष्प देकर सिर की लपेट दें।
अनिद्राInsomniaअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोधारा, क्षीरवस्ति।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, एक्यूप्रेशर।सिर व पेट पर मिट्टी पट्टी, पेट व रीढ़ पर गरम ठंडा सेक, रीढ मालिश, एनिमा, गीली चादर लपेट, ठंडा रीढ़ स्नान, ठंडा कटि स्नान, मड स्नान, गरम पाद स्नान, पूर्ण टब स्नान। भरपूर श्रम करना भी नींद के लिये आवश्यक है। निश्चित समय पर सोयें, सोने से 3 घंटे पूर्व भोजन करें, खाकर तुरन्त नहीं सोयें, रात्रि को हल्का भोजन करें। दिन में नही सोयें। सोना जरुरी हो तो मोबाईल का प्रयोग बन्द करें। सभी प्रकार की लाईट बन्द करें, जितना गहरा अंधेरा होगा, दिमाग से नींद लाने वाला हार्मोन 'मेलाटोनिन' का स्राव तेज एवं ज्यादा होगा। पर्याप्त एवं अधिक गहरी नींद आएगी। निश्चित समय पर सोने तथा नियत समय पर जागने की आदत डालें। सोते समय चिन्ता रहित निश्चिन्त एवं प्रसन्न रहें।
नासागत रक्तपित्तEpistaxisशिरोधारा, शिरोपिचु, गण्डूष, कवल, नस्य, धूमनस्य।जलनेति, योगनिद्रा, त्राटक।प्रातः दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कुंजर, जलनेति, रबरनेति तथा 3 बार प्रति दिन सरसों तैल का नस्य लें, नाभि पर तैल लगायें, घृत नेति करें सरसों के तैल में एलाइल| आइसोथायोसाइनेटस (AIT) होता है जो एण्टी वॉयरस तथा एण्टी बैक्टीरियल होता है। गुनगुने पानी का एनिमा लें, गरम पाद स्नान करें, फिर नीम के पानी का स्पंज बाथ लेकर विश्राम करें। चेहरे तथा गले की अजवाईन या नीलगिरी (यूकेलिप्टस) की स्थानीय भाप सेवन करें।
नासार्शNasal Polypगण्डूष, कवल, नस्य, घूमनस्य।जलनेति, योगनिद्रा, त्राटक।प्रात: दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कुंजर, जलनेति, रबरनेति तथा 3 बार प्रति दिन सरसों तैल का नस्य लें तथा नाभि पर तैल लगायें तथा घृत नेति करें सरसों के तैल में एलाइल आइसोथायोसाइनेटस (AIT) होता है जो एण्टी वॉयरस तथा एण्टी बैक्टीरियल होता है। गुनगुने पानी का एनिमा लें, गरम पाद स्नान करें, फिर नीम के पानी का स्पंज बाथ लेकर विश्राम करें। चेहरे तथा गले की अजवाईन या नीलगिरी (यूकेलिप्टस) तैल की स्थानीय भाप लें।
प्रतिश्यायRhinorrhoeaगण्डूष, कवल, नस्य, धूमनस्य।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक।प्रातः दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कुंजर, जलनेति, रबरनेति तथा 3 बार प्रति दिन सरसों तेल का नस्य लें, नाभि पर तैल लगायें तथा घृत नेति करें। सरसों के तैल में एलाइल आइसोथायोसाइनेटस (AIT) होता है जो एण्टी वॉयरस तथा एण्टी बैक्टीरियल होता है। गुनगुने पानी का एनिमा लें, गरम पाद स्नान करें, फिर नीम के पानी का स्पंज बाथ लेकर विश्राम करें। चेहरे तथा गले की अजवाईन या नीलगिरी (यूकेलिप्टस) तैल की स्थानीय भाप लें।
केशवृद्धि हेतु / खालित्यHair Fallगण्डूप, कवल शमन नस्य, शिरोलेप।जलनेति, सूत्रनेति, कुँजलक्रिया, शँखप्रक्षालन, योगनिद्रा, त्राटक, एक्यूप्रेशर।पेट पर गरम ठण्डा सेक, मिट्टी की पट्टी, लपेट, एनिमा, सिर पर मिट्टी का लेप, स्थानीय वाष्प, कटि स्नान, सिर की त्वचा की रगड़ कर मालिश व कंघी, छाछ या दही से बाल धोना, आंवला शिकाकाई रीठा से बाल धोना, बाल धीरे-धीरे खींचना। ध्यातव्य है कि भावनात्मक दृष्टि से सशक्त, आत्मविश्वास, प्रबल इच्छा शक्ति वालों के बाल कम झड़ते है।
कर्णस्रावASOM /CSOM and Deafnessगण्डूष, कवल, प्रधमन नस्य, कर्णधूपन, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेद, एक्यूप्रेशर।कान पर गर्म ठंडा सेक, लोकल स्टीम, रेड लाईट सेक कान तथा कान में रूई लगाकर कान के चारों तरफ मिट्टी का लेप।
कर्णनादTinnitusशिरोधारा, वाष्पस्वेद, कर्णधूपन, नस्य।जलनेति, सूत्रनेति, एक्यूप्रेशर।कान पर गर्म ठंडा सेक, लोकल स्टीम, रेड लाईट सेक करें तथा लहसुन डालकर पके हुए सरसों तैल को 2-2 बूंद कान में डालें।
जीर्ण नेत्ररोगChronic Eye Disordersअक्षितर्पण, शिरोधारा, नस्य, आश्च्योतन, सेक, विडालक, विरेचन, रक्तमोक्षण।जलनेति, सूत्रनेति, त्राटक, एक्यूप्रेशर।मड आइ पैक, कोल्ड पैक, आई वाश (त्रिफला, गुलाब जल), त्राटक (बिंदु, ज्योति), आँख को बंद करके आँख का स्थानीय वाष्प तथा गरम-ठण्डा सेंक।
शुष्काक्षिपाकDry Eye Syndrome / Computer Vision Syndromeअक्षितर्पण, नस्य, आश्च्योतन, सेक, विडालक।जलनेति, सूत्रनेति, त्राटक, एक्यूप्रेशर।मड आइ पैक, कोल्ड पैक, आइ वाश (त्रिफला, गुलाब जल), त्राटक (बिंदु, ज्योति)।
बाल रोगों की चिकित्सा-अभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोपिचु, मात्रावस्ति।जलनेति त्राटक, एक्यूप्रेशर।गर्म-ठण्डा सेक, लपेट, सूर्य स्नान, मिट्टी पट्टी।
सूखारोग या फक्करोगRicketsअभ्यङ्ग, स्वेदन, शिरोपिचु, नस्य, पष्टिकशाली पिण्डस्वेद, पत्रपिण्डस्वेद, क्षीरवस्ति, उपनाहस्वेद।जलनेति, सूत्रनेति, त्राटक, एक्यूप्रेशर।धूप स्नान, ठंडा लपेट, सम्पूर्ण शरीर पर मिट्टी लेप।
तुण्डिकेरी शोथAcute Tonsilitisनस्य, धूमनस्य, गण्डूष, कवल।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेद, एक्यूप्रेशर।प्रातः दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कुंजर, जलनेति, रबरनेति तथा 3 बार प्रति दिन सरसों तेल का नस्य लें तथा नाभि पर तैल लगायें तथा घृत नेति करें। सरसों के तैल में एलाइल आइसोथायोसाइनेटस (AIT) होता है जो एण्टी वॉयरस तथा एण्टी बैक्टोरियल होता है। गुनगुने पानी का एनिमा लें, गरम पाद स्नान करें, फिर नीम के पानी का स्पंज बाथ लेकर विश्राम करें। चेहरे तथा गले की अजवाईन या यूकेलिप्टस तैल की स्थानीय भाप लें।
बाल वातव्याधि या मन्दबुद्धिCerebral Palsyअभ्यङ्ग, पष्टिकशाली पिण्डस्वेद, नस्य, शिरोपिचु, क्षीरवस्ति मात्रावस्ति, उपनाह।जलनेति, सूत्रनेति, वाष्पस्वेद, एक्यूप्रेशर।रीढ़ पर ठंडा गरम सेक, रीढ़ स्नान, रीढ़ मड लेप, सिर मड लेप, पूर्ण टब स्नान एवं जलान्तर्गत जलीय मालिश।